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तब तक कोइ दीप जला ले / कुमार अनिल

2 जनवरी 2011

  • Kumar anil

    नया पृष्ठ: <poem>तब तक कोई दीप जला ले माना गम की रात बडी. है, हृदय शूल सी सॉस गडी. ह…

    21:56

    +1,991

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