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Kavita Kosh से
दानवी विनत, वनिष्ट परास्त-
ध्वनित प्रतिध्वनित होता है यह
परदेशी साशन डोला था-
:::करो या मरो! मरो या करो।
:::कुछ न गुज़रो, कुछ न गुज़रो।