भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अन्तिम दिनों में/ प्रदीप मिश्र

1,314 bytes added, 12:01, 13 दिसम्बर 2010
नया पृष्ठ: <poem>'''अन्तिम दिनों में''' उनके पास कमजोर नसों की सूची होती है उनकी ही …
<poem>'''अन्तिम दिनों में'''

उनके पास
कमजोर नसों की सूची होती है
उनकी ही भाषा में
सारे धर्मग्रन्थों का अनुवाद होता है
विचारों के जीवाश्मों को खोद-खोदकर
वे अपने लिए खोह बनाते हैं
अन्तिम दिनों में
वे सबसे ज्यादा सक्रिय होतें हैं

वे रूप धरते हैं तरह-तरह के
प्रेमिकाओं की तरह हृदय में दाखिल होते हैं

अन्तिम दिनों में
उनको पहचानते हैं सब
सब करते हैं उनसे घृणा
चर्चाएं गर्म होतीं हैं उनके खिलाफ
फिर भी उनकी ही प्रजाति
सबसे ज्यादा फलती-फूलती हैं

अन्तिम दिनों में
वे दीमक की तरह लग जाते हैं
अपनी भाषा की जड़ों में।


</poem>
155
edits