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हँसती रहने देना / अज्ञेय

No change in size, 14:12, 4 जून 2007
हँसती रहने देना! <br><br>
हाथों ने बहुत अर्नथ अनर्थ किये <br>
पग ठौर-कुठौर चले <br>
मन के <br>
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