भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हँसती रहने देना! <br><br>
हाथों ने बहुत अर्नथ अनर्थ किये <br>
पग ठौर-कुठौर चले <br>
मन के <br>
Anonymous user