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नए आदमी से मुलाक़ात / विमल कुमार

No change in size, 19:30, 15 दिसम्बर 2010
एक बार तुम फिर मुझसे मिल लो
जितनी शिकायतें हैं उसे दूर कर
फूल की तरह जीवन में बगीचे में खिल लो!.
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