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गिले फ़ुज़ूल थे अहद-ए-वफ़ा के होते हुए <br>
सो चुप रहा सितम-ए-नारवा नारवां के होते हुए <br><br>
ये क़ुर्बतों में अजब फ़ासले पड़े कि मुझे <br>
है आश्ना आशना की तलब आश्ना आशना के होते हुए <br><br>
वो हिलागर हैं जो मजबूरियाँ शुमार करें <br>
चिराग़ हम ने जलायें हवा के होते हुये <br><br>
न कर किसी पे भरोसा के कश्तियाँ डूबीं हैं <br>
ख़ुदा के होते हुये नाख़ुदा के होते हुये <br><br>
"फ़राज़" ऐसे भी लम्हें कभी कभी आये <br>
कि दिल गिरिफ़्ता रहा दिलरुबा के होते हुए <br><br>
 
कुर्बत = करीबी, हिलागर = जो बहाने बनाये, कासा-ब-दस्त = हाथ में कटोरा लिये हुए,<br>
हुमा = स्वर्ग का पंछी (सौभाग्य की निशानी),
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