भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाला जगदलपुरी |संग्रह=मिमियाती ज़िन्दगी दहाड…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाला जगदलपुरी
|संग्रह=मिमियाती ज़िन्दगी दहाड़ते परिवेश / लाला जगदलपुरी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दर्द नें भोगे नहीं जिस दिन नयन,
मिल गया उस दिन हृदय को गीत धन।
जब अंधेरा पी चुके सूरजमुखी,
तब दिखाई दी उन्हें पहली किरन।
नींद टूटी जिस सपन की शक्ति से,
चेतना के घर मिली उसको दुल्हन।
फूल जब चुभ गये, तो मन को लगा,
है बडी विश्वस्त कांटों की चुभन।
देखते ही बनी बिजली की चमक,
जब घटाओं से घिरा उसका गगन।
छाँह के अहसान से जो बच गया,
धूप के दुख नें किया उसको नमन।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=लाला जगदलपुरी
|संग्रह=मिमियाती ज़िन्दगी दहाड़ते परिवेश / लाला जगदलपुरी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दर्द नें भोगे नहीं जिस दिन नयन,
मिल गया उस दिन हृदय को गीत धन।
जब अंधेरा पी चुके सूरजमुखी,
तब दिखाई दी उन्हें पहली किरन।
नींद टूटी जिस सपन की शक्ति से,
चेतना के घर मिली उसको दुल्हन।
फूल जब चुभ गये, तो मन को लगा,
है बडी विश्वस्त कांटों की चुभन।
देखते ही बनी बिजली की चमक,
जब घटाओं से घिरा उसका गगन।
छाँह के अहसान से जो बच गया,
धूप के दुख नें किया उसको नमन।
</poem>