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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार अनिल|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल}}{{KKCatGhazal‎}}‎<poemPoem>कौन किसको क्या बताये बताए क्या हुआ
हर अधर पर मौन है चिपका हुआ
जब भी ली हैं सिन्धु ने अंगड़ाईयांअँगड़ाईयाँ
तट को फिर देखा गया हटता हुआ
वक्त वक़्त की आँधी उमड़ कर जब उठी
आदमी तिनके से भी हल्का हुआ
बाँटने आये आए है अंधे रेवड़ी
हाथ अपना खींच लो फैला हुआ
सोचता सोया था अपने देश की
स्वप्न में देखा मकां मकाँ जलता हुआ
कह रहें हैं आप जिसको दिल मेरा
दर्द का इक ढेर है सिमटा हुआ</poem>
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