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ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें / नित्यानन्द तुषार
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05:07, 21 दिसम्बर 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=नित्यानन्द तुषार
|संग्रह=दूरियों के दिन / नित्यानन्द तुषार
}}
<Poem>
उनको गिरने से बचा लेना तुम
जो ये सोचें हम फिसलकर देखें
</poem>
अनिल जनविजय
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