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दुश्मन बना जहान क्यूँ , ऐसी फिज़ा बनी ही क्यूँ
मेरे तो राज़-, राज़ हैं, कोई भी राज़दां नहीं
अंदाज़-ए-फ़िक्र और था “श्रद्धा” ज़ुदाई में तेरी
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