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|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
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<poem>अपनी खुशियाँ अपने सपने सब के सब बेकार हुए
फूलों जैसे लोग भी जाने क्यों जलते अंगार हुए
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