भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सन्नाटा / कैलाश गौतम

7 bytes added, 08:21, 4 जनवरी 2011
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
कलरव घर में नहीं रहा सन्नाटा पसरा है
सुबह-सुबह ही सूरज का मुँह उतरा-उतरा है ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits