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और उसे.. उसे
जिसने आटे की तरह
गूथ गूँथ दिया है खुद ख़ुद को चुपचाप  
सुना है इसी दिन
 पता चलता है संस्कॄति के पैमाने का ताप.
मैं मूढ़ - मैं मूरख क्या जानूँ
 
प्यार है किस चिड़िया का नाम
 
आज वेलेन्टाईन डे पर
 
अपने घोंसले से दूर
 
तुम्हें याद करते हुए
 
क्या कर रहा हूँ - क्या पुण्य - क्या पाप !
 
 
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