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Kavita Kosh से
:फिक्रमंद इन-उनकी ख़ातिर
:अपनी ही गो ख़बर नहीं है ।
:समय रूक रुक गया है पहाड़-सा
:बजता कोई गजर नहीं है ।
पहचाने खो गई हमारी