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आहत युगबोध / जगदीश व्योम

1 byte added, 07:01, 9 जनवरी 2011
अलसाई कामनाएं चढ़ने लगीं सीढ़ियाँ
टूटे अनुबंध , जिन्हें ढो रही थी पीढ़ियाँ
वैभव की लालसा ने