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डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !<br />
हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,<br />ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता!<br />
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,<br />
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !<br />
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