भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मेनका अब भी इन्द्रपुरी में होगी
हो सकता है
पृथ्वी पर अब भी
बच रहे हों
कुछ विश्वामित्र
(जिनकी तपस्या भंग करना आवश्यक हो)
अप्सराएँ स्वर्ग की
हमेशा भंग करती हैं
पृथ्वी के किसी तपस्वी का तप
और ख़ुद पवित्र बनी रह सकती हैं
(केवल स्वर्ग में!)
</poem>