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आओ हे नवीन युगआओ हे सखा शांति केचलकर झरे हुए पत्रों परगत अशांति के ।आओ बर्बरता के शव परअपने पग धर, yah testing hai shigra hi rachana bhi ankit ki jayegi॥खिलो हँसी बनकरपीड़ित उर के अधरों पर ।करो मुक्त लक्ष्मी कोधनियों के बंधन सेखोलो सबके लिए द्वारसुख के नंदन के ।दो भूखों को अन्न और मृतकों को जीवनकरो निराशों में आशा के बल का वितरण ।सिर नीचा कर चलता है जो,जो अपने को पशुओं में गिनता हैरहता हाथ जोड़ जो उसे गर्व दो तुमसिर ऊँचा कर चलने काईश्वर की दुनिया में भेद न होए कोईरहें स्वर्ग में सभी, नरक सुख सहे न कोई ।
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