भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'''इस कविता में कवि ने अँग्रेज़ों की जी-हुज़ूरी करने वाले अँग्रज़ी-भक्त-भारतीयों पर व्यंग्य कसा है'''
मेड इन जापान , खिलौनों से ,सस्ते हैं लार्ड मैकाले के ।ये नये खिलौने , इन को लो,पैसे के सौ-सौ, दो-दो सौ ।। अँग्रेज़ी ख़ूब बोलते ये, सिगरेट भी अच्छी पीते हैं ।हो सकते हैं सौ से दो सौ,ये नये खिलौने मैकाले के ।।
..................
..................
तब तक यह घटने के बजाय
हो जायेंगे करोडों-लाखों ।
ये सस्ते हैं इन्हें ले लो
पैसे के सौ-सौ , दो-दो सौ ।
</poem>