भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शिशिर / बरीस पास्तेरनाक

1 byte added, 14:44, 24 जनवरी 2011
अपने नन्हे-मुन्नों को
तितर-बितर हो जाने दिया
एकाजीवन एक आजीवन अकेलापन छाया है
प्रकृति में और हृदय में ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits