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Kavita Kosh से
:::जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,
:::मौत की तरह ठंडी होती है।
:::खेलती, खिल-खिलाती खिलखिलाती नदी,
:::जिसका रूप धारण कर,
:::अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है।