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सोने-चाँदी के गली-कूचे न हीरों के महल ।
आज भी ज़िस्म के अम्बार है बाज़ारों में
ख़्वाज-ए-शहर<ref>शहर के अमीर लोग</ref> है यूसुफ़<ref>युसूफ़ पैग़म्बर थे, जिन्हें मिस्र के बाज़ार में बेचने के लिए लाया गया था और जुलेखा उनके सौन्दर्य पर मोहित हो गई थी</ref> के ख़रीदारों में ।
शहर बाक़ी है मुहब्बत का निशाँ बाक़ी है
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