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Kavita Kosh से
|रचनाकार=इक़बाल
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आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोँसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती हो चोट दिल पर, आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना<br>जिस दमवो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना<br><br>शबनम के आँसूओं पर कलियों का मुस्कुराना