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सोने का घड़ा बनवाए हों,
तुमारी धनि पनिया खों निकरी ।
 
 
 
 
 
'''भावार्थ'''
आसमान में बादल गरज रहे हैंगोरी पानी भरने के लिए कुएँ पर जा रही है।वह अपने ससुर से विनति करती हैक्यों न घर के आँगन में ही कुआँ खुदवा दिया जाएजिससे कि वह आराम से पानी भर सके ।अपने जेठ से वह कहती है किवे आँगन में पाट लगवा दें,देवर से कहती है किवे रेशम की डोरी ला दें,नन्दोई से कहती है किमोती की कुड़री गढ़वा दें,पति से कहती है--मेरे लिए सोने का कलश बनवा दोतुम्हारी पत्नी पानी भरने जा रही है ।
</poem>
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