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Kavita Kosh से
मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेदछेड़,
अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना|
लेकिन इस दर्दो-गमो-ज़बर ज़ब्र की वुसअत को तो देख,
जुल्म की छाँव में दम तोड़ती खलकत को तो देख,
जलसा-गाहों में ये दहशतज़दा सहमे अम्बोह,
रहगुज़ारों पे फलाकताज़दा फलाकतज़दा लोगो के गिरोह|
हर तरफ आतिशो-आहन का ये सैलाबे-अ-जीमअजीम,
नित नए तर्ज़ पे होती हुई दुनिया तकसीम|