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<poem>नीले पीले लाल सुनहरेगहरे-गहरे रंगघटा में उभर रहे हैंउड़ो हंस !
शायद कोई पृथ्वीनभ के अन्तरतम इस सोती हुई नीलिमा मेंजन्म ले रहीकुछलहरें पैदा करो
हो सकता हैतुम्हारे उड़ने सेबादल के परदों के पीछेचन्द्रमा उदय होकररंगमंच होकिसी दूसरी ही दुनिया कामुँडेर तक आ जायेगा
</poem>
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