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Kavita Kosh से
ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा
तुमने जिस ख़ून को मक़्तल में दबाना चाहा
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप और हम सभी के आँगन में