भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
तुम मोहंजोदड़ो हो गए
तो क्या हुआ
वक्त वक़्त ने धूल के दुशाले
डाल दिए तुम पर
इससे क्या !
और
एक भरे प्याले से छलकती तृप्ति का अहसास
 
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits