2,084 bytes added,
08:23, 25 फ़रवरी 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनकर
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''अमा-संध्या'''
::नीरव, प्रशान्त जग, तिमिर गहन।
::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
किसकी किंकिणि-ध्वनि? मौन विश्व में झनक उठा किसका कंकण?
झिल्ली-स्वन? संध्या श्याम परी की हृदय-शिराओं का गुंजन?
:::::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
::अन्तिम किरणें भर गईं उर्मि-
::अधरों में मोती के चुम्बन,
::वन-कुसुम वृन्त पर ऊँघ रहे,
::दूर्वा-मुख सींच रहे हिम-कण।
:::::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
::नीलिमा-सलिल में अमा खोल
::कलिका-गुम्फित कबरी-बंधन,
::लहरों पर बहती इधर-उधर
::कर रही व्योम में अवगाहन।
:::::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
::मुक्ता कुंतल में गूँथ, शुक्र का
::पहन कुसुम-कर्णाभूषण
::दिग्वधू क्षितिज पर बजा रही
::मंजीर, चपल कँप रहे चरण।
:::::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
::यह भुवन-प्राण-तंत्री का स्वन?
::लघु तिमिर-वीचियों का कम्पन?
::यह अमा-हृदय का क्या गुनगुन?
::किस विरह-गीत का स्वर उन्मन?
:::::रुनझुन रुनझुन किसका शिंजन?
१९३३
</poem>