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‘‘काफल पाक्को, मैन नि चाखो’’
'''अर्थात काफल पक गये हैं और मैने चखकर इनका स्वाद नहीं लिया है। इस लोक कथा में यह मान्यता है िकवह छोटी सी बालिका जो भ्रमवश मां के क्रोघ का शिकार होकर मारी गयी वह ‘काफल पाक्कु’ पक्षी बन गयी।(डा0 अशोक कुमार शुक्ला द्वारा संकलित)'''
'''काफल पाक्को (लंबी कविता का अंश)'''
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