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मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,
निखिल विश्व मेंमिलकर में मिलकर अपनापन खेाने खोने दो,खाने देा खोने दो मुझे अछूत के साथ बैठकर,जाने दो मुझको मुसलिम के धर घर के भीतर,पीने दो मुझे इसाई धर ईसाई घर का पानी।पानी ।
(विराट ज्योति पृष्ठ 17)
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