भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ज़हर पी जाइए और बॉंटिए अमृत सबको
ज़ख्म भी खइए खाइए और गीत भी गाते रहिए।
वक्त ने लूट लीं लोगों की तमन्नाऍं भी,
Anonymous user