भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
दोस्ती ज़ुर्म नहीं, दोस्त बनाते रहिए।
ज़हर पी जाइए और बॉंटिए बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।
वक्त ने लूट लीं लोगों की तमन्नाऍं तमन्नाएँ भी,
ख्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।
Anonymous user