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दोहावली / तुलसीदास / पृष्ठ 3

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'''दोहा संख्या 31 21 से 4030'''
 श्री तुलसी हठि हठि कहत नित चित सुनि हित करि मानि।
लाभ राम सुमिरन बड़ो बड़ी बिसारें हानि।21।
सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन।
नाम सुप्रेम पियुष हद तिन्हहुँ किए मन मीन।30।
 
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