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[[Category:लम्बी रचना]]
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'''दोहा संख्या 221 से 230'''
जीवन मरन सुनाम जैसें दसरथ राय को।
जियत खिलाए राम राम बिरहँ तनु परिहरेउ।221।
धीर बीर रघुबीर प्रिय सुमिर समीर कुमारू।
अगम सुगम सब काज करू करतल सिद्धि बिचारू।230।
</poem>