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लता मंगेश्कर / हबीब जालिब

No change in size, 16:27, 14 मार्च 2011
<poem>
तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन -रैन हमारे
तेरी अगर आवाज़ न होती
तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन -रैन हमारे
क्या-क्या तूने गीत हैं गाए
तुझको सुनकर जी उठते हैं
हम जैसे दुख -दर्द के मारे
तेरे मधुर गीतों के सहारे
बीते हैं दिन -रैन हमारे
मीरा तुझमें आन बसी है
तेरे मधुर गीतों के सहारे
कटते हैं दिन -रैन हमारे
'''सिंध की हैदराबाद जेल में'''
</poem>
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