भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
[[Category:नज़्म]]
{{KKAnthologyHoli}}
<poem>
हाँ इधर को भी ऐ गुंचादहन<ref>कली जैसे सुन्दर और चोटे मुँह वाली</ref> पिचकारी ।