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मुखड़ा हुआ अबीर / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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16:53, 15 मार्च 2011
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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मुखड़ा हुआ अबीर लाज से
अंकुर फूटे आस के।
Pratishtha
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