भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
आज मैंने अपना  फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया
जिन्‍देगी जिन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया
कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
Anonymous user