भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
{{KKCatKavita}}
{{Template:KKAnthologyDiwali}}
सब बुझे दीपक जला लूँ !<br>
घिर रहा तम आज दीपक-रागिनी अपनी जगा लूँ !<br><br>