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{{KKRachna
|रचनाकार=राजेश जोशी
|संग्रह=मिट्टी का चेहरा / राजेश जोशी
}}
 
अब यहाँ कोई नहीं रोता।<br><br>
लोग बहुत जल्दी थक जाते हैं और<br>