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{{KKRachna
|रचनाकार= नज़ीर अकबराबादी
}}{{KKAnthologyId}}[[Category:ग़ज़ल]]<poem>है आबिदों <ref>श्रद्धालु</ref> को त'अतत‘अत-ओ-तजरीद <ref>श्रद्धा</ref> की ख़ुशीऔर ज़ाहिदों <ref>पूजा करने वाला</ref> को ज़ुहद जुहाद<ref>धर्म की बात</ref> की तमहीद <ref>शुरुआत</ref> की ख़ुशी[आबिद=श्रद्धालु; त'अत=श्रद्धा] रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी[ज़ाहिद=पूजा करने वाला; ज़ुहद कुछ दिलबरों के वल की तमहीद=धर्म कुछ दीद की बात की शुरुआत]ख़ुशी
पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है
पीर<ref>पुराना</ref>-ओ-जवान को नेम'तें नेम‘तें<ref>ईनाम/दया</ref> खाने की धूम हैलड़को लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है [पीर=पुराना; नेम'त=इनाम/दया] ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद बक़रीद की ख़ुशीजैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से
कोई पुकरता पुकारता है के कि छूटे अज़ाब <ref>यातना</ref> से कल्ला <ref>गाल</ref> किसी का फूला है लड्डू की चाब से चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से [अज़ाब=यातना; कल्ला= गाल] ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी क्या हि मुआन्क़े की मची है उलट पलट मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में ग़त के ग़त आशिक़ मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट [मुआनिक़=आलिंगन; ग़ट=भीड़] ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी पिशवाज़ें सुर्ख़ सौसनी लाही की फुल-झड़ी कुर्ती कभी दिखा कभी अन्गिया कसी कड़ी कह "ईद ईद" लूटेन हैं दिल को घ.दी घड़ी [पिश्वाज़= कुरती] ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद बक़रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीरतो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीरसब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियाँ "नज़ीर"मियां ‘नज़ीर‘
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
</poem>
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