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<Poem>
एक जीवभक्षी पौधा हूँ मैं।
वसंत, मुझ पर मत आना।
बहुत रंगीन हूँ मैं,
और रस छलकने लगता है मेरी कोर-कोर से,
जब तुम आते हो मुझ पर।
पर वसंत, मुझ पर मत आना।
जीवभक्षी पौधा हूँ मैं।
मेरे रंग झूठ हैं - इंद्रजाल हैं