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61 से 70 तक / तुलसीदास / पृष्ठ 4
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14:06, 28 मार्च 2011
राम-नाम प्रेम-परमारथको सार रे।
राम-नाम तुलसीको जीवन-अधार रे।5।
(68),
राम राम राम जीह जौलौं तू न जपिहै।
तौलौं , तू कहूँ जाय, तिहूँ ताप तपिहै।1।
Dr. ashok shukla
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