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Kavita Kosh से
कोई धोखा न खा जाए मेरी तरह
ऐसे खुल के न सबसे मिला कीजिए
अक्ल-ओ-दिल अपनी अपनी कहें जब 'खुमार'
अक्ल की सुनिए, दिल का कहा कीजिये
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