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|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
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<poem>
हथेलियों पर
अकस्मात
किन्हीं खण्डित सूर्यों का
स्थिर हो जाना
इस बात का साक्षी है कि :
समय
किसी अतीत का भविष्यवाणी की परिधि
जीते हुए
लाल बत्तियों की रोशनी में
अपना रास्ता तय कर रहा है !

लक्ष्य और जीवन के बीच की दूरी
क़रीब-क़रीब ख़त्म हो चुकी है !
(1966)
</poem>
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