भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह |संग्रह=कल सुबह होने के पहले / श…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सींग टूट जाने की
प्रार्थना को जीता साँड़
खन्दक में गिर गया !
उसके प्रतिद्वन्दी ने
मुँह घुमा लिया !
अब तो
रक्त-स्राव ओढ़े
रौंदी ज़मीन भर शेष है !
(1965)
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सींग टूट जाने की
प्रार्थना को जीता साँड़
खन्दक में गिर गया !
उसके प्रतिद्वन्दी ने
मुँह घुमा लिया !
अब तो
रक्त-स्राव ओढ़े
रौंदी ज़मीन भर शेष है !
(1965)
</poem>