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Kavita Kosh से
*[[...अनदेखे दियारों के सफ़ीर / फ़राज़]]
*[[अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें / फ़राज़]]
*[[अच्छा था अगर ज़ख़्म न भरे भरते कोई दिन और / फ़राज़]]
*[[तरस रहा हूँ मगर तू नज़र न आ मुझको / फ़राज़]]
*[[किसी तरह तो बयाने-हर्फ़े आरज़ू करते / फ़राज़]]