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Kavita Kosh से
रैन अँधेरे भागे भागे
सोनेवाले जागे जागे
उषा आई, उषा आई
तू भी जाग ओ नींद के माते जाग उजाले की पूजा कर
सोए हुए देवों को जगा दे घंटे और घड़ियाल बजा कर
खोल दिए कुदरत ने ख़ज़ाने
छेड़ दिए चिड़ियों ने तराने
उषा आई, उषा आई
कलियाँ चटकीं, सब्ज़ा लहका, गुलशन महका, जीवन दहका
सपनों में गुम रहने वाला भी इस दोराहे पर बहका