भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
उसे प्यार करते हो तुम क्या
लज्जा
क्या जीयस <ref>यूनान के इंद्र देवता</ref> के क्रोध सरीखी
भाल तुम्हारे पर है चाबुक नहीं मारती
देती क्या धिक्कार नहीं है
उस नुमायशी टीम-टाम संग
बीत रहा है जीवन कैसा
केर्रार <ref>उत्तर-पश्चिम इटली का एक नगर</ref> संगमरमर के पश्चात
प्लास्टर-पैरिस अब लगता है कैसा
लेकिन खण्ड-खण्ड हो टूटी
तुम
जिसने पिया लिलिथ <ref>हव्वा के पैदा होने से पहले आदम की पत्नी</ref> अधरामृत
उस असभ्य के साथ बिताते जीवन कैसे
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक
</poem>
{{KKMeaning}}